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स्त्रीशक्ती (Stri-shakti)

स्त्रीशक्ति

तू अबला बन मत नारी
चल हाथ में ले के कटारी
अज्ञान पर इस काम पर
इस मोह पर इस क्रोध पर
तू वार कर……

तू अबला बन मत नारी
चल हाथ में ले कर आरी
दुर्गा का रूप लेकर
इन दुष्ट विचारों का
संहार कर……


तू सबला बन ओ नारी
खडी हो अब तेरी बारी
तू काली माता बनकर
इन दुष्ट राक्षसों का
आहार कर

कली का है तांडव चल रहा
दुर्जन का शासन खल रहा
दु:शासन करते चिरहरण
चूपचाप है धर्म अकारण

अब भी है पल पल मरती
हर गली में न्याऽय माँगती
इतिहास की पुनरावॄत्ती
सीता हो याऽऽ द्रौपदी

अब तुझको ही उठ,ना होगाऽऽ
वो कृष्ण बचाने ना होगाऽऽ
तुझको ही खुदको जान कर
ये शस्त्र उठाना होगाऽऽ

तू अबला बन मत नारी……
हो रूप तुम शक्ति का
तू सबला बन ओ नारी……
हो रूप तुम गति का
तू अबला बन मत नारी……
हो रूप तुम दुर्गा का
तू सबला बन ओ नारी……
हो रूप तुम काली का

ऐ काली माँ……
खल के मनोबल को कर दुर्बल
ऐ दुर्गा माँ……
सज्जनो के मन को कर निर्मल

~ श्रीहरी गोकर्णकर

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